लोकशाही एक्सप्रेस गोंदिया
जिले का नवेगांव-नागझिरा अभयारण्य वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है और जिले के चारों ओर बाघों विचरण है। शनिवार 12 अक्टूबर की रात लगभग 11.30 बजे अचानक गोंदिया जिलाधिकारी कार्यालय परिसर मे बाघ ने एंट्री कर दी । बाघ की एंट्री से गोंदियावासियो की नींद उड़ गई। जानकारी मिलते ही वन्यजीव की टीम ने रविवार को तड़के 4.30 बजे बाघ को रेस्क्यू कर नागपुर के गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया।
नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या कम होती जा रही है, वहीं वन्यजीव प्रेमी भी चिंतित हैं क्योंकि बाघ यहां डेरा नहीं जमा रहे हैं। इस बीच, वन विभाग बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। विभाग को इसमें सफलता भी मिल रही है। अब एनएनटीआर सहित जिले के जंगलों में बाघों की संख्या बढ़ गई है। इसलिए, जिले के चारों ओर बाघ मौजूद हैं। इसके अलावा, कुछ घटनाएं सामने आई हैं कि बाघ संरक्षित क्षेत्र के बाहर भी मौजूद हैं। ऐसे में शनिवार की रात गोंदिया के नागरिकों के लिए खतरे की घंटी थी। बाघ शहर में घुस आया और भाग गया। शहर के सारस चौक में कलेक्टर कार्यालय, जिला परिषद क्षेत्र में रात अचानक 11.30 बजे बाघ ने एंट्री की, जिससे कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गई थी। जिसे देखने के लिए यहाँ लगभग डेढ़ से दो हज़ार लोग जमा हो चुके थे। इसलिए पुलिस की एक टीम बुलाई गई। चूँकि बाघ पहली बार शहर के किसी रिहायशी इलाके में आया था, इसलिए देखने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। रात का अंधेरा बाघ को बचाने में मुश्किल पैदा कर रहा था। एक नाइट विज़न थर्मल ड्रोन ने बाघ की लोकेशन का पता लगाया और एक जेसीबी से बाघ तक पहुँचने के लिए रास्ता तैयार किया। चूँकि यहाँ रिहायशी घर और दफ्तर हैं, इसलिए टीम को ये बचाव अभियान चलाने में काफ़ी दिक्कत हुई। हालाँकि, सुबह लगभग साढ़े चार बजे बाघ को बेहोश कर दिया गया। बाघ को नागपुर के गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया।
👉उन्होंने बचाव किया...
बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने अथक प्रयास किए। उप वन संरक्षक पवन जोंग, सहायक वन संरक्षक सचिन डोंगरवार, विजय धांडे, वनपरिक्षेत्राधिकारी दिलीप कौशिक, अमोल चौबे, अमित राऊत, सतीश शेंद्रे, विक्रांत ब्राह्मणकर शुभम मेश्राम, राजेश ढोक, पृथ्वी सैयाम, चालक टिकेश्वर डोंगरवार, दिनेश सोनवाने के मार्गदर्शन में गोंदिया ग्रामीण पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक सिंगनजुड़े की टीम ने नागरिकों की भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
👉वाघ का गोरेवाड़ा प्रस्थान
शहर में बाघ आने की जानकारी मिलते ही लगभग डेढ़ से दो हज़ार नागरिक उसे देखने के लिए जमा हो गए, और एक छोटी सी चूक भी किसी की जान ले सकती थी। उस समय, टीम ने अथक प्रयास करके बाघ को पकड़ने में कामयाबी हासिल की। इस बीच, उक्त बाघ को गोरेवाड़ा संरक्षण केंद्र भेज दिया गया।