गोरेगांव नगर पंचायत: नए चेहरों के साथ दिग्गजों को मिलेगा मौका, आरक्षण घोषित होते ही सत्ता का समीकरण शुरू

     लोकशाही एक्सप्रेस गोरेगांव 
एक कहावत है राजनीति एक खेल है जो चालाक लोग इसे खेलते हैं, और सामान्य जनता दिनभर इस पर चर्चा करती रहती  हैं। ठीक इसी तरह नगर पंचायत चुनाव में भी राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े राजनीति के चालक इस खेल को खेल कर सत्ता का समीकरण जनता के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। 
गोरेगांव शहर में पिछले छह सालों से नगर पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे भावी पार्षदों को बुधवार (8 तारीख) को वार्ड आरक्षण सूची जारी होने से झटका लगा है, वहीं कुछ दिग्गजों को राहत मिली है। गोरेगांव नगर पंचायत के 17 वार्डों का आरक्षण बुधवार को जारी हुआ। इस आरक्षण सूची में पिछले पांच सालों का इतिहास देखें तो बहुत कुछ नहीं बदला है। वार्डवार आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद अब सबका ध्यान सत्ता के समीकरण साधने पर है।विशेष उल्लेखनीय यह है कि गोरेगांव नगराध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग के लिए घोषित किया गया है। जिसे देखते हुए कुछ राजनीतिक क्षेत्र से दूर रहने वाले भी सक्रिय होकर चुनाव लड़ने के इच्छुक हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर आदिवासी उम्मीदवार की खोज में सभी राजनीतिक पार्टी लग गई है।
नगराध्यक्ष पद के लिए 6 अक्टूबर को आरक्षण की घोषणा हुई थी। इसमें नगराध्यक्ष पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया। इस आरक्षण के चलते प्रमुख राजनीतिक दलों के महत्वाकांक्षी दिग्गज उम्मीदवारों को सभापति, पार्षद पद से ही संतोष करना पड़ेगा। 
गोरेगांव नगर पंचायत के अंतर्गत कुल 17 वार्ड आते हैं। इन 17 वार्डों में नगर पंचायत चुनाव काफ़ी मुश्किल होने वाले हैं। चूँकि आरक्षण में ज़्यादा बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए पुराने उम्मीदवार फिर से  इस चुनाव में सक्रिय हो गए हैं। कुछ नए चेहरों को भी मौका मिलने वाला  है। सूत्र यह भी कहते हैं कि गोरेगांव नगर पंचायत का नगर अध्यक्ष चाहे किसी भी पार्टी का बन जाए लेकिन नगर अध्यक्ष का कामकाज  दिग्गजों के हाथ में ही रहेगा।                  भरत घासले