लोकशाही एक्सप्रेस न्यूज गोंदिया
मराठा समाज काे हैदराबाद गैजेट के अनुसार आरक्षण देने का संभावित निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। इसके बाद राज्य के बंजारा समाज ने भी इसी तर्ज पर अनुसुचित जनजाति प्रवर्ग में शामिल कर बंजारा समाज आदिवासी का आरक्षण दिया जाएं इस मांग को लेकर बंजारा समाज राज्य शासन पर दबाव डाल रहा है, जिसके विरोध में सोमवार 6 अक्टुंबर को गोंदिया में नकली आदिवािसयों के खिलाफ असली आदिवासी समुदाए ने विशाल आक्रोश मोर्चा निकालकर बंजारा, धनगर तथा अन्य जातियों को आदिवासी के आरक्षण में शामिल न करे आदि मांगो के साथ शक्ति प्रदर्शन किया। उपरोक्त मोर्चो में आए जनसमुदाए को देखते हुए अनुमान लगाया गया है कि, 50 हजार से अधिक आदिवासी समुदाय शामिल हुए है। विशेष उल्लेखनीय यह है कि, गोंदिया के इतिहास में प्रथम ही बार आदिवासियों का मोर्चा इतनी बड़ी संख्या में दिखाई दिया।
बता दे कि, बंजारा, धनगर तथा अन्य जातियों मंे एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर बंजारा समाज के साथ अन्य जाति द्वारा राज्य सरकार पर दबावतंत्र अपनाते हुए आंदोलन किया जा रहा है। जिसका विरोध आदिवासी समुदाए द्वारा किया जा रहा है, जिसके विरोध में गोंदिया में संयुक्त आदिवासी कृति समिति व समन्वय समिति के नेतृत्व में 6 अक्टुंबर को आरक्षण बचाव को लेकर आदिवासी आक्रोश मोर्चे का आयोजन किया गया था। शहर के इंदिरा गांधी स्टेडियम में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाए सुबह 9 बजे से ही एकत्रित होने लगा, धीरे-धीरे दोपहर 12.30 बजे आदिवासियों का जन सैलाब देखने काे मिला। आदिवासी नेताओं ने जनसमुदाए को मार्गदर्शन किया, जिसके बाद मांगो का ज्ञापन सौंपने तथा शक्ति प्रदर्शन करने के लिए इंदिरा गांधी स्टेडियम से जिलाधिकारी कार्यालय तक रैली निकाली गई। इस दौरान बड़े ही शांतिपूर्वक व संवैधानिक पध्दती से शासन के समक्ष मांग रखते हुए नारेबाजी की गई। रैली लगभग 2 किमी तक लगी थी, जिसके बाद पुरा समुदाए जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में जनसभा में तब्दील हो गया, जहां पर जनप्रतिनिधियों ने मोर्चे को संबोधित करते हुए शासन के समक्ष आदिवािसयों की विभिन्न मांगे रखी, पश्चात मांगो का ज्ञापन राष्ट्रपति महामहिम दौपद्री मुर्मू, राज्यपाल आचार्य देवव्रत तथा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के नाम जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया। मोर्चे का नेतृत्व संयुक्त आदिवासी कृति समिति व समन्वयक समिति ने किया है।
कुछ देर के लिए गोंदिया थमा
सोमवार को सुबह 10 बजे से ही आदिवासी समाज एकत्रित होने लगा, बड़ी संख्या में वाहनों की कतारे शहर के बाहरी क्षेत्रों में दिखाई दी। 12 बजे के बाद शहर की मुख्य सड़को पर मोर्चे में आए आदिवासियों का जनसलैबा उमड़ पड़ा। इस मोर्चे में जहां एक अनुमान लगाया गया था कि, 30 से 40 हजार तक आदिवासी समुदाए के लोग पहुँचेगे लेकिन रैली में 50 हजार से अधिक समुदाए दिखाई दिया, जिस वजह से कुछ देर के लिए गोंदिया का आवागमन थम गया था।
जिला प्रशासन काे आंदोलनकारियों का मिला सहयोग
िजला प्रशासन ने पहले ही अनुमान लगा लिया था कि, यह मोर्चा काफी विशाल होगा, जिसे देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से पुलिस के तगड़े बंदोबस्त के साथ विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया गया। आंदोलनकारियों ने भी जिला प्रशासन को सहयोग करते हुए बड़े ही शांतिपूर्वक स्वंय के सुरक्षा रक्षको के साथ आंदोलन किया। इस आंदोलन में महिला-पुरूष, युवक व 60 से 65 आयु के वृध्द भी शामिल हुए थे।
शराब तथा मुख्य मार्गो पर लगनेवाली दुकाने रही बंद
आदिवासी के विशाल मोर्चे को देखते हुए जिला प्रशासन ने खबरदारी लेते हुए कानुन व्यवस्था बनी रहे इस उद्देश्य को लेकर गोंदिया शहर की देशी-विदेशी शराब दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया गया था। इतना ही नहीं तो जिस मार्ग से आंदोलन की रैली का आयोजन किया गया था, उस मार्ग पर लगनेवाली दुकाने भी बंद रही।
इन मुख्य मांगो का था समावेश
संयुक्त आदिवासी कृति समिति, समन्वयक समिति द्वारा राष्ट्रपति, राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में विभिन्न 18 मांगो का समावेश था, जिनमें से कुछ मुख्य मांग अनुसुचित जनजाति की सुची में अन्य किसी भी जाति काे शामिल न करें, आदिवासियों की जमीन लिज पर देने की घोषणा महाराष्ट्र सरकार ने कि है, वह प्रतिबंधित कानुन 1974 के तहत गैरकानुनी है, उपरोक्त घोषणा पर अमल न किया जाएं, हैदराबाद गैजेट के आधार पर बंजारा या अन्य जातियों को अनुसुचित जनजातियों का आरक्षण न दिया जाएं, क्योंकि 1950 के प्रेसिडेन्टल ऑर्डर के बाद किसी भी अन्य जातियों को एसटी जनजातियों में शामिल करने का विषय संसद में नहीं आया है, आदि मांगाे का समावेश है।
*पुलिस अधीक्षक के आवाहन को मिला अच्छा प्रतिसाद*
मोर्चे को देखते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला पुलिस प्रशासन ने पुलिस तथा सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए थे । जिला पुलिस अधीक्षक गोरख भामरे इन्होंने मोर्चे में शामिल स्वयंसेवक व आदिवासी समुदाय को आवाहन कर अपील की की थी कि,मोर्चा शांतिपूर्ण निकालकर अपनी मांगे शासन तक पहुंचाए ताकि , शासन तक इस मोर्चे का अच्छा मैसेज जाए । आयोजकों से हमने चर्चा की जिसमें बताया गया कि मोर्चा शांतिपूर्ण रहेगा । हमें आशा है कि स्वयंसेवकों के माध्यम से मोर्चे पर पूरा नियंत्रण रहेगा ।लेकिन कुछ लोग इसका गलत फायदा लेकर गड़बड़ी करने का प्रयास करते हैं ।ऐसे लोग पाए जाने पर तत्काल इसकी सूचना पुलिस विभाग को दे वही स्वयंसेवक उन्हें समझा कर शांत करें। नहीं समझने पर उन्हें मोर्चे से अलग निकालकर पुलिस की मदद ले। पुलिस हमेशा आपकी मदद के लिए तैयार है । इस तरह की अपील जिला पुलिस अधीक्षक गोरख भामरे ने की । जिसे आदिवासी समुदायों ने अच्छा प्रतिशत देकर मोर्चे को शांतिपूर्वक तरीके से जिला अधिकारी कार्यालय तक पहुंचाया ।वहीं जिला प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आदिवासी समुदाय ने सहयोग किया।
*हर स्तर पर हो रही तारीफ*
मोर्चा ,आंदोलन का आयोजन होता है तो अक्सर देखा जाता है कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा मोर्चे मैं गड़बड़ी करने का प्रयास करते हैं। यदि आंदोलन विशाल रूप मे हो तो,कानून व्यवस्था बिगड़ने की पूरी संभावना बनी रहती है ।लेकिन आदिवासी समुदाय द्वारा इतना बड़ा विशाल मोर्चा बड़े शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकालकर किसी को भी नुकसान न पहुंचाहते हुए संविधानिक पद्धति से अपनी मांगों को शासन तक पहुंचाया। इस दौरान कोई गलत नारे नहीं, कोई गड़बड़ी नहीं ,ना ही कोई आक्रोशित भाषा का उपयोग। जिसे देखते हुए हर स्तर पर इस मोर्चे की प्रशंसा की जा रही है।
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