लोकशाही एक्सप्रेस गोंदिया
जिला परिषद स्कूलो को टिकाने के लिए शासन की ओर से विभिन्न उपक्रम तो चलाए जा रहे है। लेकिन जिला परिषद स्कूलों में विद्यार्थियों की पट संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। लेकिन जिला परिषद स्कूल का एक ऐसा शिक्षक है जो बंगाली माध्यम से है। यह शिक्षक जिला परिषद स्कूल में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियो के मकान और पानी का टैक्स भरकर जिला परिषद स्कूलों को बचाने का अभिनव उपक्रम चला रहा है। उस शिक्षक का नाम एस.यु.देबनाथ होकर अर्जुनी मोरगांव तहसील के पुष्पनगर (अ) की जिला परिषद स्कूल में सहायक शिक्षक के तौर पर कार्यरत है।
बता दें कि जिला परिषद स्कूलो में भौतिक असुविधा व शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों की पट संख्या धीरे-धीरे कम होती चली जा रही है। इसकी मुख्य वजह यह बताई जाती है की जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह सुविधाएं विद्यार्थियों को नहीं दी जा रही है। यही एक कारण है की अभिभावक अपने पाल्यों को जिला परिषद स्कूलों में प्रवेश दिलाने में पीछे हट रहे है। शासन द्वारा पट संख्या बढ़ाने को लेकर विभिन्न उपक्रम चलाया जाता है। लेकिन पट संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। जिस वजह से पट संख्या के अभाव में अनेक स्कूलों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। लेकिन बंगाली माध्यम एक ऐसा शिक्षक है जो जिप स्कूलों का अस्तित्व टिकाने के लिए स्वयं के खर्चे से जिला परिषद स्कूल में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का मकान और पानी टैक्स भर रहा है। बताया गया है की अर्जुनी मोरगांव तहसील अंतर्गत पुष्पनगर (अ) आता है। इस ग्राम में जिला परिषद की बंगाली माध्यम की स्कूल संचालित है। इस ग्राम में शत प्रतिशत बांगलादेशी शरणार्थी नागरिक निवास करते है। इस ग्राम में कक्षा 4थी तक बंगाली माध्यम की स्कूल होकर वर्तमान में 13 विद्यार्थी शिक्षा का पाठ पढ़ रहे है। जहां पर एस.यु. देबनाथ नामक शिक्षक कार्यरत है। वह जिला परिषद स्कूल का अस्तित्व टिकाए रखने के लिए विभिन्न उपक्रम चला रहे है। उनका एक अभिनव उपक्रम इस स्कूल को बचाने में काफी मददगार साबित हो रहा है। बताया गया है की जो भी अभिभावक अपने पाल्यों का इस स्कूल में प्रवेश कराता है तो उस अभिभावक के मकान और पानी टैक्स स्वय शिक्षक ग्राम पंचायत को अदा करता है। इस अनोखी पहल से शिक्षक देबनाथ की हर स्तर पर सराहना की जा रही है। उन्होंने यह भी जानकारी दी है की विद्यार्थियों के माता-पिता या दोनों में से एक अभिभावक नहीं होने पर उनका शैक्षणिक खर्च वे स्वयं उठाते है।
सरकारी स्कूल टिकाना एकमात्र लक्ष्य
शिक्षा क्षेत्र में स्पर्धा चल रही है। इस स्पर्धा में सरकारी स्कूलों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। जिला परिषद स्कूल टिकाना मेरा एकमात्र लक्ष्य है। जिप स्कूलो की कक्षा पहली में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों तथा जिनके माता-पिता या दोनो में से एक अभिभावक नहीं होने पर मकान और पानी टैक्स के साथ ही शैक्षणिक खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है।
- एस.यु. देबनाथ, सहायक शिक्षक, जिप शाला पुष्पनगर अ
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