धरती के देवदूत, रक्तदूत बनकर " गुड्डू" ने बचाई अनेकों की जान- आज विश्व रक्त दिवस

               निलेश चुटे 
      लोकशाही एक्सप्रेस गोंदिया 
जिस तरह से डॉक्टर को धरती पर भगवान के रूप में देखा जाता है, ठीक उसी तरह से समय पर रक्तदान कर जरूरतमंदों की जान बचाने वालों को भी देवदूत के रूप में देखा जाता है । गोंदिया के एक ऐसे रक्त मित्र है जिन्हें काल आते ही रक्त उपलब्ध कराने के लिए अपने रक्तमत्रों के साथ तुरंत पहुंच जाते हैं । उन्होंने 13 वर्ष  में दुर्लभ नेगेटिव रक्त सहित लगभग 5000 से अधिक जरूरतमंदों को नया जीवनदान दिलाने की अहम भूमिका निभाई है।  उस रक्तदूत का नाम विनोद उर्फ गुड्डू चांदवानी है । उन्होंने बताया कि यह प्रेरणा उनकी मां से मिली है, और आज इसी प्रेरणा ने मिशन का रूप ले ली है। तो चले जानते हैं आज विश्व रक्त दिवस पर रक्त मित्र की प्रेरणादाई कहानी।
रक्त ऐसा एक घटक है जिसका कृत्रिम रूप से निर्माण नहीं किया जा सकता । रक्त केवल शरीर में ही प्राकृतिक रूप से निर्माण होता है।  इसीलिए विभिन्न कार्यक्रमों के तहत रक्तदान कराने की मुहिम चलाई जाती है, ताकि जरूरतमंदों को समय पर रक्त मिल सके। प्रतिदिन जरूरतमंदों को रक्त की आवश्यकता पड़ती है। यदि समय पर रक्त उपलब्ध नहीं हुआ तो उनकी जान खतरें में आ जाती है। कभी-कभी तो एैसे भी मामले सामने आए है कि, रक्त नहीं मिलने के कारण मरीजों की जान चली गई है। अब तो एक दिन के नवजातों को भी रक्त की जरूरत पड़ रही है। रक्त तो उपलब्ध हो जाता है, लेकिन एैसे कुछ ब्लडग्रुप होते है, जो बड़ी मुश्किल से मिल पाते है। जिसमें बॉम्बे ब्लड ग्रुप, ओ.ए.बी. जैसे दुर्लभ निगेटिव ब्लडग्रुप का समावेश है। लेकिन इन दुर्लभ ब्लड ग्रुप को भी उपलब्ध कराने का प्रयास गोंदिया के रक्तमित्र विनोद चांदवानी द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, जब वे 25 वर्ष के थे तब उनकी माँ को निगेटिव ब्लड की आवश्यकता पड़ी। सप्ताह में दो बार निगेटिव ब्लड ग्रुप का इंतजाम करना पड़ता था, लेकिन यह दुर्लभ रक्त होने से समय पर नहीं मिल पाता था तब कोई बड़ी मुश्किल से रक्तदाता मिल जाता तो उनके परिवार के लिए वह रक्तदाता भगवान के रूप से कम नहीं रहता था। तब ही से विनोद चांदवानी ने संकल्प लिया की रक्तदान मुहिम चलाकर किसी भी समय में कॉल आने पर रक्त उपलब्ध कराकर जीवनदान दिलाना। उन्होंने आगे बताया कि, 13 वर्ष की कालावधी में 5 हजार से अधिक रक्त युनिट उपल्ब्ध कराकर हजारों को जीवनदान दिलाने में मदत की है। उन्होंने अति दुर्लभ कहे जाने वाले बॉम्बे ब्लड ग्रुप व ओ.ए.बी.जैसे दुर्लभ निगेटिव रक्तग्रुप का एक समुह तैयार किया है। जब किसी को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो, वे रक्तमित्र विरोध चंदवानी को याद करते हैं। कॉल आते ही रक्तदाताओं को मैसेज पहुंचाया जाता है, मैसेज मिलते ही वे रक्तदाता रक्तदान करने पहुंच जाते हैं। विशेष बात यह है कि, जब कोई अनजान रक्तदाता अनजान जरूरतमंद को रक्त उपलब्ध कराता है, तो मरीज के परिवार उस रक्तदान करने वाले व्यक्ति को हृदय से धन्यवाद देते हैं। इतना ही नहीं तो वे बीच-बीच में उनसे संपर्क कर पहचान की एक नई श्रृंखला भी निर्माण करते हैं। और इसी श्रृंखला से मरीज और रक्तदाताओं एक नया मित्र परिवार तैयार हो जाता है। अंत में सभी से एक ही निवेदन है कि अपने जीवन काल में समय के साथ रक्तदान कर जरूरतमंदों को नया जीवनदान देने का प्रेरणादाई कार्य करें।
.     निलेश चुटे , लोकशाही एक्सप्रेस